Tuesday, February 16, 2021

लिमिट फिट टॉलरेंस क्या है What Is limit fit and tolrance in HIndi

लिमिट फिट टॉलरेंस क्या है What Is limit fit and tolrance in HIndi

आज के इस आर्टिकल के द्वारा हम आपको बताएँगे की विनिमयशीलता क्या है? what is interchangebility in hindi? बेसिक माप किया है? what is basic size in hindi ? वास्तविक माप क्या है? what is actual size in hindi? लिमिट क्या है? what is limit in hindi? फिट क्या है? what is fit in hindi? और टॉलरेंस क्या है? what is tolrance in hindi ?अलाउंस क्या है? what is allowance in hindi? और इसके प्रकार और परिभाषा भी आपको आसान भाषा में बताएँगे जिसे आप एक बार पढ़ लेने के बाद कभी नहीं भूलेंगे

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विनिमयशीलता क्या है? what is interchangebility in hindi?



विनिमयशीलता परिभाषा ( interchangebility defination ); जब एक ही साइज के अनेक जॉब किसी एक ही साइज के बनाये जाते है और वो जॉब जो एक दूसरे के स्थान पर फिट बैठते है उसे विनिमयशीलता कहते है| 

बेसिक माप किया है? what is basic size in hindi ?


बेसिक साइज परिभाषा ( basic size defination ); ब्लू प्रिंट में दिया गया साइज बेसिक माप कहलाता है|

वास्तविक माप क्या है? what is actual size in hindi?


वास्तविक माप परिभाषा ( Actual size defination ):  बने हुए जॉब को मापने पर जो माप मिलता है उसे वास्तविक माप कहते है |

लिमिट क्या है? what is limit in hindi?


लिमिट परिभाषा ( Limit defination ); जॉब के बेसिक साइज से कुछ ज्यादा तथा कुछ काम बनाने देने की छूट को लिमिट कहते है इसे ( + ) तथा (- ) चिन्ह से दर्शाया जाता है| यह दो प्रकार की होती है|
  1. हाई लिमिट साइज ( High limit size ): बेसिक साइज से जितना अधिक बनाने की छूट दी जाये उसे हाई लिमिट साइज कहते है|
  2. लौ लिमिट साइज ( low limit size ); बेसिक साइज से जितना काम बनाने की छूट दी जाये उसे लौ लिमिट साइज कहते है |

फिट क्या है? what is fit in hindi?


फिट परिभाषा ( Fit defination ): एक मशीन के मेटिंग पार्टो ( मेल एवं फीमेल ) में उचित फिट के लिए जो चाल रखी जाती है उसे फिट कहते है | यह तीन प्रकार की होती है|

  1. क्लीयरेंस फिट ( Clearance Fit ): इस फिट में शाफ़्ट होल के अंदर स्वतंत्र से घूमती है और शाफ़्ट का व्यास होल से कम होता है ताकि दोनों में क्लीयरेंस बना रहे इसमें होल के विचलन के लिए संकेत चिन्ह H6,H7,H8,H11 का प्रयोग किया जाता है| जिन्हे a,b,c,d,e,f,g और h शाफ्टों को निर्धारित विचलन के साथ संपर्क में ला कर अलग अलग प्रकार की क्लीयरेंस फिट प्राप्त की जा सकती है 
  2. इंटरफेरेंस फिट ( Interference Fit ): इसमें होल का माप शाफ़्ट के माप से छोटा रखा जाता है इसमें शाफ़्ट को सुराख़ में फिट करते समय कुछ रुकाबट पैदा होती है और जिसे फिट करने में अधिक बल की जरुरत होती है  उसे इंटरफेरेंस फिट कहते है |
  3. ट्रांजीशन फिट ( Transition Fit ): इसमें क्लीयरेंस और इंटरफेरेंस दोनों ही पाए जाते है इसमें शाफ़्ट या तोह बिलकुल स्वतंत्र से होल के अंदर घूमेगा या शाफ़्ट होल के अंदर जायेगा ही नहीं इसमें भी होल के विचलन के लिए संकेत चिन्ह H6,H7,H8,H11 का प्रयोग किया जाता है जिन्हे j,k,l,m,n, शाफ्टों को विचलन के साथ संपर्क में लाकर ट्रांजीशन फिट प्राप्त की जा सकती है इस तरह के फिट को ट्रांजीशन फिट कहते है| 


टॉलरेंस क्या है? what is tolrance in hindi ?


टॉलरेंस परिभाषा ( Tolrance Defination ): बेसिक साइज कम दिया गया हाई लिमिट साइज और लौ लिमिट साइज के अंतर को टॉलरेंस या टॉलरेंस जोन कहते है | टॉलरेंस दो प्रकार के होते है|

  1. युनीलेट्रल टॉलरेंस ( Unilateral Tolerance ): इसमें टॉलरेंस बेसिक साइज पर केबल एक ही तरफ दी जाती है और या तोह ( + ) या फिर ( _ ) में दी जाती है युनीलेट्रल टॉलरेंस को हम एक तरफ़ा टॉलरेंस भी कहे सकते है 
  2. बाइलेट्रल टॉलरेंस ( Bilateral Tolerance ): इसमें टॉलरेंस बेसिक साइज पर दोनों तरफ दी जाती है यह ( + ) तथा ( _ ) दोनों में दी जाती है इसे हम दो तरफ़ा टॉलरेंस भी कहे सकते है |

अलाउंस क्या है? what is allowance in hindi?


अलाउंस परिभाषा ( Allowance Defination ): दो फिट होने वाले पुज्रे के साइज के अंतर को अलाउंस कहते है या शाफ़्ट के न्यूनतम माप और होल के अधिकतम माप के अंतर को ही अलाउंस कहते है |अलाउंस दो प्रकार के होते है |

  1. अधिकतम अलाउंस ( Maximum Allowance ): होल के सबसे बड़े माप और शाफ़्ट के सबसे छोटे माप के अंतर को अधिकतम अलाउंस कहते है| ( Maximum Hole Diameter - Minimum Shaft Diameter )
  2. न्यूनतम अलाउंस ( Minimum Allowance ): होल के सबसे छोटे माप और शाफ़्ट के सबसे बड़े माप के अंतर को न्यूनतम अलाउंस कहते है | ( Minimum Hole Diameter - Maximum Shaft Diameter )

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Sunday, February 14, 2021

आग कितने प्रकार के होते है और अग्निशामक का प्रयोग | Types of fire and use fire extinguisher

आग कितने प्रकार के होते है और अग्निशामक का प्रयोग | Types of fire and use fire extinguisher


आज के इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे की आग क्या है और आग कितने प्रकार के होते है लकड़ी से लगे,आग तेल से लगे आग,गैस से लगे आग,बिजली से लगे आग,को बुझाने के लिए कौन से फायर एक्सटीन्गुइशेर का उपयोग क्या जाता है आग की दुर्घटनाये प्राय अग्गियानता से या लापरवाही से होती है जिससे कारखाने के मालिक को मजदुर को और राष्ट्र को बहुत हानि होती है इसलिए इस आर्टिकल में हम आग से बचने के निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेंगे

आग क्या है ( what is fire ):

आग चाहे कारखाने में लगा हो या किसी भी जगह लगा हो आग लगने के लिए ईंधन + ताप + ऑक्सीजन का होना आवश्येक है क्यों की इन तीनो के मिश्रण से ही आग बनती है |

what is fire?
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आग कितने प्रकार के होते है ( Types of fire ):

आग 4 प्रकार की होती है जो निम्नलिखित है | 

  1. कर्बोनेसियस फायर ( carbonatious fire ): जब कभी आग लकड़ी या कोयले से लग जाती है तो उस आग को कार्बोनेशियस फायर कहते है | इस तरह से लगने वाले आग को बुझाने के लिए रेत या पानी तथा मिटटी का प्रयोग किया जाता है | परन्तु अगर आग बहुत ज्यादा फैल गयी हो तोह उसे बुझाने के लिए सोडा एसिड एक्सटिंगयूशर का प्रयोग किया जाता है इसे class A फायर कहते है |
  2. तेल से आग ( oil fire ): जब कही भी आग तेल से लगी हो जैसे पेट्रोल डीजल किरोसिन और भी अन्य प्रकार के तेल से लगी हो तोह इसे बुझाने के लिए फोम फायर एक्सटिंग्युशर का प्रयोग किया जाता है इसे class B फायर कहते है |
  3. गैस से लगी आग ( Gas fire ): जब कभी आग किसी गैस द्वारा लगी हो तोह उसे गैस फायर कहते है गैस से लगी आग को बुझाने के लिए पानी का प्रयोग किया जाता है|
  4. बिजली द्वारा लगी आग ( Electricals fire ): बिजली से लगी आग को इलेक्ट्रिकल फायर कहते है इसे बुझाने के लिए सी टी सी फायर एक्सटिंग्युशर का प्रयोग क्या जाता है इसे class D फायर कहते है |

आग बुझाने के यंत्र ( fire fighting extinguisher ):

आइये जानते है कि फायर एस्टिंग्यूशर होता क्या है यह एक आग बुझाने का यन्त्र है जिसे आग बुझाने के लिए प्रयोग किया जाता है इस तरह का यंत्र आप आईटीआई के वर्कशॉप मे देखे ही होंगे इसे वर्कशॉप पे किसी उचित स्थान पर लटका दिया जाता है इसमें आग के प्रकार के अनुसार केमिकल या गैस भरा होता है आग के प्रकार के अनुसार यह निम्न प्रकार के होते है |

  1. सी टी सी एक्सटिंग्युशर ( C.T.C Extinguisher ): इसका उपयोग बिजली से लगी आग को बुझाने के लिए किया जाता है इसका सिलिंडर पीतल का बना होता है जिसे कार्बन टेट्रा क्लोराइड के तरल प्रदार्थ से भर दिया जाता है सिलिंडर के ऊपर डबल एक्टिंग फाॅर्स पम्प लगा होता है जिसे एक हैंडल द्वारा दबाने पर तरल प्राथर्त भाप के रूप पे बाहर निकलता है जो आग को बुझाता है |
  2. फोम एक्सटिंग्युशर ( Form Extinguisher ): ते ल से लगी आग को बुझाने के लिए फोम एक्सटिंग्युशर का प्रयोग किया जाता है इसके बाहर और भीतर दो कंटेनर लगा होता है बहार के कंटेनर में सोडा बाई कार्बोनेट तथा भीतर के कंटेनर में एल्मुनियम सल्फेट का घोल भरा रहता है तेलीय पर्दार्थ से लगी आग को बुझाने के लिए किया जाता है| इसकी पहचान बॉडी पर बने भूरे रंग के हाथ से की जाती है|
  3. सोडसोडा एसिड एक्सटिंग्युशर ( soda acid extinguisher ); लकड़ी से लगी आग को बुझाने के लिए इस एक्सटिंग्युशर का प्रयोग किया जाता है इसकी पहचान बॉडी पर बने पिले रंग के हाथ चिन्ह से की जाती है| 

आग लगने के कारण ( causes of fire ):

  1. बिजली के तारो का ढीला कनेक्सन होना 
  2. तेज चलने वाले पार्ट्स पर तेल का न होना
  3. कारखाने में धूम्रपान करना
  4. बिजली के तारो पर ओवरलोड पढ़ने से
  5. बिजली के शार्ट सर्किट से 

आग को रोकने का उपाय ( Fire Fighting ):

  1. किसी भी जगह आग लगने पर आग आग पुकारे तथा खतरे का सायरन बजा दे| 
  2. कार्यशाला में धुरुमपान नहीं करना चाहिए|
  3. आग लगने पर फायर ब्रिगेड और कारखाने के उच्च अधिकारी को सुचना देना चाहिए|
  4. तेल से लगी आग को पानी से न बुझाये इसे रेत या गैस से बुझाने का कोशिश करे|
  5. यदि आग में घिर जाये तो खड़ा नहीं रहना चाहिए फर्श पर लेट कर रेगना चाहिए|

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कारखाने में कार्य करते समय अपने आप को कार्यशाला को और अपने साथ काम कर रहे सभी साथियो को किसी भी दुर्घटना से बचाने को सेफ्टी कहते है समानयता सेफ्टी तीन प्रकार की होती है लेकिन उससे पहले हम जानेंगे कारखाने में होने वाले दुर्घटनाओं के मुख्य कारण जिनके विषय  में जानना भी जरुरी है | 

  • अज्ञानता (  ignorance ): मशीन को चलने से पहले उस मशीन के बारे पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए 

  • गलत स्थिति ( improper posision ) : ढीले कपड़े, लम्बे बिखरे बाल, टाई, मफलर,चप्पल,कड़े,अंगूठी और घड़ी आदि भी कई बार दुर्घटना के कारण बन जाते है | 

  • ओवर टाइम ( over time ): अधिक ओवरटाइम से थकावट होती है जिसके वजह से दुर्घटना होती है | 

  • जल्दबाज़ी (  hurry ): कभी कभी कारीगर किसी कार्य को जल्दी में करने के वजह से भी दुर्घटना का सीकर हो जाते है | 

  • रूचि की कमी ( less of intrest ): प्रत्येक कार्य को पूर्ण रूचि और दिलचस्बी के साथ करना चाहिए कारीगर का धियान केबल जॉब पर होना चाहिए 

Types of safety (सुरक्षा के प्रकार ): सुरक्षा तीन प्रकार के होते है 

  1. स्वयं की सुरक्षा ( Self safety )
  2. साधारण  सुरक्षा ( General safety )
  3. मशीन की सुरक्षा ( Machine safety )

  • स्वयं की सुरक्षा ( Self Safety )

  1. follow ppe ( personal protective equipment ) जैसे- हेलमेट,सेफ्टी जूता,चस्मा,दस्ताना,एअर प्लग,मास्क आदि पहनना आवश्यक है | 
  2. follow sop ( standard operating procedure ) किसी भी काम को सही से करने की विधि  को SOP कहते है |
  3. अपने हाथ और पीठ से अधिक भरी सामान न उठाये 
  4. कभी भी बिना दस्ताना पहने खुरदरा साफ़ न करे 
  5. मशीन पर ढीले कपड़े पहने कार्य नहीं करना चाहिए |
  6. हैमर में हैंडल अछि तरीके से फिट कर लेना चाहिए |
  7. नट बोल्ट को कस्ते समय उचित पाना का उओयोग करना चाहिए |
  8. किसी भी कार्य को करने में जल्दीबाज़ी नहीं करना चाहिए | 
  9. ग्राइंडर पर काम करते समय चस्मा और दस्ताना पहन लेना चाहिए 

  • साधारण सुरक्षा ( General Safety )

  1. जिस मशीन के विषय में जानकारी नहीं हो उस मशीन को नहीं चलना चाहिए | 
  2. मापी औजारों को कटिंग टूल से अलग रखना चाहिए 
  3. जब क्रेन द्वारा किसी बस्तु को उठाया जाये तोह क्रेन के निचे नहीं खड़ा होना चाहिए
  4. कभी भी बिजली की नंगे तारो को हाथो से नहीं छूना चाहिए 
  5. चलती मशीन पर अपना भार दे कर नहीं खड़ा होना चाहिए 
  6. भरी वास्तु को सावधानी  से उठाना चाहिए 
  7. फालतू सामान ,स्क्रैप या बुरादे आदि को स्क्रैप बॉक्स या ड्रामो में रखना चाहिए 
  8. कार्य के बाद टूल और औजारों  को तेल लगाकर उचित स्थान पर रखना चाहिए 
  9. कार्यशाला में तेल या ग्रीस  नहीं गिरे रहना चाहिए 

  • मशीन की सुरक्षा ( machine safety ) 

कारीगर की निजी संपत्ति के सामान होती है  कारीगर को उसकी रख रखाब अछि तरीके से करनी चाहिए क्यों की इसी मशीन से वह अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करती है मशीन की मरम्मत के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान  रखना चाहिए 

  1. चलती मशीन पर जॉब का माप नहीं लेना चाहिए 
  2. हमेसा मशीन को अपने सरीर का अंग मानकर उसके साथ छेड़खानी नहीं करना चाहिए 
  3. चलती मशीन को छोड़ कर नहीं जाना चाहिए 
  4. बिजली चले जाने पर मशीन का स्विच बंद कर देना चाहिए 
  5. किसी भी मशीन को चलाने से पहले उस मशीन की पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए 
  6. मशीन को चलाने से पहले उसे भली भाती साफ़ करके तेल और ग्रीस आदि लगाए तथा नट  बोल्ट चेक कर ले
  7. चलती मशीन को हाथ से नहीं रोकना चाहिए
  8. कार्य करते समय किसी दूसरे यक्ति को मशीन चलाने,बंद करने तथा सुवचलित चाल को नहीं लगाने देना चाहिए 
  9. चलती मशीन की गरारिया कभी नहीं बदलनी चाहिए 

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